ट्रेंडिंग

हेल्थ इंश्योरेंस के लिए कैशलेस क्लेम करने की प्रक्रिया

में पढ़ें

17 मार्च 2020

41917 व्यूज़

अप्रत्याशित मेडिकल परेशा‍नियां कभी भी आ सकती हैं, कोई नहीं जानता कि कब ये परेशा‍नियां उन्‍हें चपेट में ले लेंगी. ऐसी परिस्थितियों का सामना करने का एक विवेकपूर्ण तरीका है कि आप एक उपयुक्‍त हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लीजिए, जो आपको मेडिकल आवश्‍यकताओं के लिए फाइनेंशियल कवरेज प्राप्त करने में मदद करेगी.

मेडिक्लेम का बैकअप होने से आपके पास एक फाइनेंशियल सहारा रहता है. इसकी अनदेखी करने पर आपको किसी बड़ी फाइनेंशियल परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. लेकिन, अगर हेल्थ इंश्योरेंस का क्लेम प्रोसेस बहुत लंबा है, तो इंश्योर्ड सदस्यों की दिलचस्पी इसमें नहीं रह जाती है, जिससे वे इसका लाभ नहीं उठा पाते हैं.

क्लेम सेटलमेंट के प्रकार

हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम प्रोसेस में अपने मेडिकल खर्चों के लिए रीइम्बर्समेंट प्राप्त किया जाता है. नीचे दी गई गाइडलाइन्स में समझाया गया है कि ज़रूरत पड़ने आपके द्वारा खरीदे गए हेल्थ इंश्योरेंस प्लान के तहत क्लेम कैसे किया जा सकता है.

क्लेम सेटलमेंट दो प्रकार के होते हैं:

  1. कैशलेस
  2. रीइंबर्समेंट

आइए एक-एक करके इन्हें समझते हैं.

कैशलेस हेल्थ इंश्योरेंस कैसे काम करता है?

अगर आपके पास कैशलेस हेल्थ इंश्योरेंस है, तो इसका मतलब है कि अपने इंश्योरर के नेटवर्क हॉस्पिटल में आपको कैश का भुगतान नहीं करना पड़ेगा. कैशलेस हेल्थ इंश्योरेंस के तहत, आपका इंश्योरर आपके द्वारा प्राप्‍त किए गए ट्रीटमेंट का भुगतान करने के लिए सीधे अपने नेटवर्क हॉस्पिटल के साथ संपर्क में रहता है.

कैशलेस हेल्थ इंश्योरेंस लेना क्यों आवश्‍यक क्‍यों है?

कैशलेस हेल्थ इंश्योरेंस की मांग लगातार बढ़ रही है. निम्नलिखित कारणों से कैशलेस हेल्थ इंश्योरेंस लेना आवश्‍यक है:

  • इमरजेंसी की स्थि‍ति में कैशलेस हेल्थ इंश्योरेंस बेहद मददगार साबित होता है, क्योंकि हो सकता है कि इस वक्‍त आपके पास कैश कम हो या न हो और इमरजेंसी के समय कैश का तुरंत इंतज़ाम भी नहीं हो पाए.
  • कैशलेस हेल्थ इंश्योरेंस को किसी भी प्रकार के कैश भुगतान को समाप्त करने के लिए बनाया गया है.

बस यह सुनिश्चित करें कि आपके द्वारा चुना गया हॉस्पिटल आपके इंश्योरर के नेटवर्क हॉस्पिटल में मौजूद हो.

कैशलेस क्लेम के चरण

कैशलेस क्लेम का विकल्प चुनने के लिए आपको निम्नलिखित चरणों का पालन करना होगा:

  • किसी बीमारी का इलाज करवाते समय आप कैशलेस हॉस्पिटलाइज़ेशन का विकल्प चुन सकते हैं. यानी हॉस्पिटलाइज़ेशन का खर्च हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी वहन करेगी. पॉलिसीधारक को केवल उन हिस्सों का भुगतान करना होगा जिन्हें इंश्योरेंस नियमों के अनुसार हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी कवर नहीं करती है. क्लेम का अप्रूवल हेल्थ इंश्योरेंस प्लान के नियम और शर्तों के आधार पर किया जाता है. इसके अलावा, संबंधित हॉस्पिटल को इंश्योरर के हेल्थकेयर प्रदाताओं के नेटवर्क का हिस्सा भी होना चाहिए.
  • भर्ती होने के समय आपको थर्ड-पार्टी एडमिनिस्ट्रेशन (TPA) काउंटर पर जमा किया गया प्री-ऑथोराइज़ेशन फॉर्म भरना होगा. अपनी इंश्योरेंस कंपनी को पहले से सूचित कर दें क्योंकि TPA उनके फाइनल अप्रूवल के लिए फॉर्म भेजता है.
  • थर्ड-पार्टी एडमिनिस्ट्रेशन काउंटर सभी आवश्‍यक डॉक्यूमेंट्स को जमा करेगा. इसमें आपके इंश्योरर द्वारा प्रदान की गई कैशलेस हेल्थ सेवाएं शामिल हो सकती हैं. इसके अलावा, सत्यापन के उद्देश्य से, कुछ KYC डॉक्यूमेंट्स की कॉपी रखी जाएंगी.
  • अब तक, इंश्योरेंस कंपनी आपके हॉस्पिटलाइज़ेशन के लिए कैशलेस अप्रूवल दे देती है. वे आपके इलाज से संबंधित और आपके भर्ती रहने के दौरान सभी डॉक्यूमेंट्स का लेखा-जोखा रखते हैं. आपको भी रिकॉर्ड रखने के लिए इसकी एक कॉपी लेकर रखने की सलाह दी जाती है.
  • ये क्लेम्स आसानी से सेटल कर दिया जाएंगे, अगर आप उपरोक्त दिशानिर्देशों का पालन करते हैं. यह सुनिश्चित करें कि सभी मेडिकल रिपोर्ट, फिजियोलॉजिकल टेस्ट, डिस्चार्ज बिल आदि आपके पास सुरक्षित रूप से रखे हों. इन सभी डॉक्यूमेंट को भविष्य की ज़रूरतों या रिफरेंस देने के लिए संभाल कर रखा जाना चाहिए.

 

रीइम्बर्समेंट क्लेम के चरण

रीइम्बर्समेंट क्लेम का विकल्प चुनने के लिए आपको नीचे दिए गए चरणों का पालन करना होगा:

  • रीइम्बर्समेंट क्लेम करके क‍िसी आउट-ऑफ-नेटवर्क हॉस्पिटल में किए गए खर्चों का क्लेम प्राप्त किया जा सकता है. अपनी इंश्योरेंस कंपनी को अपने निकट भविष्य में किए जाने वाले क्लेम के बारे में सूचित करें. रीइम्बर्समेंट क्लेम फॉर्म भरें और उनके पास जमा करें. यह हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने की तारीख से एक महीने के भीतर किया जाना चाहिए.
  • आपको क्लेम फॉर्म के साथ हॉस्पिटल से जुड़े विधिवत हस्ताक्षरित और मुहर लगाए गए बिल जमा करने होंगे. कोई अनिवार्य जानकारी छूट न जाए, इसके लिए हॉस्पिटल बिल को दोबारा जांच लें. इन जानकारियों में हॉस्पिटल का रजिस्ट्रेशन नंबर, मरीज़ का नाम, भर्ती होने की तारीख और डॉक्टर के रोग निदान प्रिस्क्रिप्शन शामिल हैं. फाइनल डॉक्यूमेंट यह सुनिश्चित करता हो कि हॉस्पिटलाइज़ेशन का निर्णय स्‍वयं नहीं लिया गया बल्कि ऐसा डॉक्टर के सुझाव पर करना पड़ा.
  • डिस्चार्ज होते समय हॉस्पिटल द्वारा दिया गया डिस्चार्ज कार्ड ले लें. इसे इंश्योरेंस कंपनी में जमा किया जाएगा.
  • रीइम्बर्समेंट प्रकार के सेटलमेंट में आप हॉस्पिटलाइज़ेशन से पहले और बाद के शुल्क का क्लेम कर सकते हैं. यहां, आपको इंश्योरेंस कंपनी को संबंधित बिल भी जमा करने होंगे. उनकी हेल्थ पॉलिसी के कथनों के अनुसार, यह 60-120 दिनों के भीतर किया जा सकता है.
  • दोनों प्रकार के क्लेम सेटलमेंट में, आपको अपने सभी मेडिकल और हॉस्पिटलाइज़ेशन डेटा को सुरक्षित रूप से संभाल कर रखना होगा.

 

आखिर में

पहले, इंश्योरेंस खरीदार इंश्योरेंस पॉलिसी की कठिन फाइनेंशियल भाषा से भ्रमित और भयभीत रहते थे; लेकिन, अब स्थिति काफी बदल रही है. अगर आप हर लाइन को अच्‍छी तरह से पढ़ते हैं, तो इंश्योरर के साथ आसानी से क्लेम कर सकते हैं और बकाया राशि को सेटल कर सकते हैं. बेहद आसानी से हेल्थ इंश्योरेंस का भुगतान किया जा सकता है, ज़रूरत है तो बस आपके दिलचस्पी दिखाने की और ध्यान देने की.

मणिपाल सिग्ना प्रोहेल्थ इंश्योरेंस प्लान खरीदें और भारत में 6500 से अधिक हॉस्पिटल में कैशलेस ट्रीटमेंट पाएं.