अर्थराइटिस में मुख्य रूप से शरीर के एक या अधिक जोड़ों में सूजन हो जाती है. इसे आमतौर पर शरीर के जोड़ों में सूजन से पहचाना जाता है. अर्थराइटिस वास्‍तव में सबसे सामान्य ऑस्टियोआर्थराइटिस को कहते हैं जो आमतौर पर बड़े जोड़ों को प्रभावित करता है, जैसे घुटने, कूल्हे, कोहनी, टखने और रीढ़ की हड्डी भी इससे प्रभावित हो सकती है. छोटे जोड़ों में सूजन को अक्सर 'रूमेटिज़्म' कहा जाता है, क्योंकि यह स्थिति ज़्यादातर रूमेटॉइड अर्थराइटिस में पाई जाती है, जो अर्थराइटिस की बजाय ऑटोइम्यून सिस्टमिक या प्रणालीगत बीमारी है. गाउटी अर्थराइटिस में भी पैर की उंगलियों में दर्द देखा जाता है.

दिलचस्प रूप से, अर्थराइटिस एक व्यापक शब्द है, जो जोड़ों और कनेक्टिव टिश्यू को प्रभावित करने वाले 200 या उससे अधिक विकारों के लिए इस्तेमाल किया जाता है. यह स्थिति आमतौर पर जोड़ों में दर्द, सूजन, चलने में कठिनाई, उक्त जोड़ों को हिलाने पर 'टूटने' की आवाज आना, लगातार दर्द आदि के रूप में प्रकट होती है.

अर्थराइटिस किस कारण से होता है

अर्थराइटिस आमतौर पर किसी जोड़ के कार्टिलेज में शुरू होता है. यह कार्टिलेज झटका और अचानक होने वाली गतिविधि के प्रभाव को सहने के लिए जोड़ों को सहायता प्रदान करता है. यह जोड़ों को जोड़ने वाला एक लचीला टिश्यू है. किन्‍हीं अज्ञात कारणों से, शरीर का इम्यून सिस्टम कार्टिलेज की कोशिकाओं पर अटैक कर सकता है और टिश्यू को कम कर सकता है. इसके परिणामस्वरूप, जोड़ कमज़ोर हो जाता है और किसी भी हरकत से उसमें घर्षण और दर्द होता है.

विज्ञान अभी तक यह पता नहीं कर पाया है कि इम्यून सिस्टम कार्टिलेज टिश्यू की कोशिकाओं पर हमला क्यों करता है. हालांकि, यह प्रक्रिया निश्चित रूप से उम्र, टूट-फूट, चोट, कार्टिलेज को लुब्रिकेट कर सकने वाले पोषण की कमी, इत्यादि के कारण तेज़ हो जाती है. जो अर्थराइटिस इम्यून सिस्टम के कारण नहीं होती है, उसकी सबसे सामान्य वजह कार्टिलेज में टूट-फूट होना है जो अधिक वज़न के कारण होता है. जो अत्यधिक वज़न या मोटापे से ग्रस्त हैं, उनके जोड़ों में अर्थराइटिस विकसित होने की संभावना अन्य लोगों की तुलना में दोगुनी होती है.

अर्थराइटिस विकसित होने में आपकी जेनेटिक संरचना की भी भूमिका होती है. उदाहरण के लिए, अगर आपसे उम्र में बड़े किसी रिश्तेदार या आपके माता-पिता को यह बीमारी है, तो आपको भी यह बीमारी होने की संभावना काफी अधिक होती है.

जेनेटिक्स के अलावा, जिन अन्य कारकों के कारण अर्थराइटिस विकसित होता है, उनमें उम्र से संबंधित टूट-फूट, जोड़ों में सूजन पैदा करने वाले संक्रमण, अच्‍छी तरह से ठीक न होने वाली चोट, इम्यून सिस्टम की विसंगति, धूम्रपान और मादक द्रव्यों के सेवन जैसी आदतें और असामान्य मेटाबोलिज़्म शामिल हैं.

अर्थ्राइटिस के प्रकार

सामान्‍य तौर पर अर्थराइटिस के निम्‍न प्रकार होते हैं:

  • ऑस्टियोआर्थराइटिस: यह प्रकार तब होता है, जब उम्र से संबंधित टूट-फूट के कारण हड्डियां धीरे-धीरे कमज़ोर होकर 'टूटने' लगती हैं.
  • फाइब्रोमायल्जिया: यह एक प्रकार का मांसपेशियों, हड्डियों, और लिगामेंट में होने वाला दर्द है जिसके साथ में याददाश्त में कमी, मूड में तेजी से बदलाव और थकान भी होता है
  • गाउट: इसमें जोड़ों में अचानक और तेज़ दर्द होता है, जो अक्सर पैर के बड़े अंगूठे से शुरू होता है और जोड़ों में यूरेट क्रिस्टल के जमा होने के कारण होता है.
  • रूमेटॉइड अर्थराइटिस: एक प्रकार का कमज़ोर कर देने वाला अर्थराइटिस जो जोड़ों में दर्द और सूजन, थकान, वज़न घटने के रूप में सामने आती है और इसमें सिस्टमिक गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल और आंखों से जुड़े लक्षण हो सकते हैं. यह एक ऑटोइम्यून सिस्टमिक बीमारी है जो अर्थराइटिस के रूप में सामने आती है.
  • लूपस अर्थराइटिस: यह पूरी तरह से अर्थराइटिस संबंधी समस्या नहीं है. यह सिस्टमिक लूपस एरिथेमेटोसस नामक बीमारी में शरीर की ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया है, जिसमें अन्य गंभीर लक्षणों के साथ-साथ जोड़ों में दर्द और सूजन भी होती है
  • सोरिएटिक अर्थराइटिस: यह सोरियासिस नामक इम्यूनिटी मध्यस्थ त्वचा रोग में जोड़ों से जुड़ी जटिलता है. इसमें जोड़ों में स्थायी दुर्बलता हो सकती है.
  • अर्थराइटिस का इलाज

    अर्थराइटिस का इलाज दर्द को नियंत्रित करने, दर्द को समाप्त करने, जोड़ों के और अधिक नुकसान को कम करने और दैनिक कामकाज में सुधार लाने के तरीकों के कॉम्बिनेशन का उपयोग करके किया जाता है. इसमें दवा लेना, अपनी लाइफस्टाइल बदलना, हल्‍के व्यायाम और स्ट्रेचिंग करना, संतुलित आहार लेना आदि शामिल हैं.

    अर्थराइटिस का इलाज करने वाले डॉक्टर आमतौर पर इलाज के लिए इन रणनीतियों का उपयोग करते हैं:

  • मुंह से ली जाने वाली दवाएं
  • त्वचा पर लगाई जाने वाली दवाएं
  • गर्म कपड़े से भाप देना और बर्फ से सिकाई करना
  • फिज़ियोथेरेपी
  • स्प्लिंट या घूमने-फिरने में सहायक उपकरण का उपयोग
  • ट्रीटमेंट प्लान को सपोर्ट करने के लिए वज़न घटाने और लाइफस्टाइल में बदलाव लाने के बारे में रोगी को शिक्षित करना
  • अगर दर्द मैनेज करने की तकनीक काम नहीं करती है, तो जोड़ों को बदलने की सर्जरी


  • डिस्क्लेमर: यहां दिए गए विवरण केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए हैं. बीमारी और इसके इलाज से संबंधित विस्तृत जानकारी के लिए कृपया किसी संबंधित योग्य विशेषज्ञ से परामर्श लें.

    बचाव हमेशा उपचार से बेहतर होता है!

    अर्थराइटिस किसी को भी हो सकता है, और हाल के वर्षों में, यह बच्चों, किशोरों और 20-वर्ष से अधिक उम्र के युवाओं में भी पाया गया है. बीमारी होने की प्रतीक्षा करने और फिर उससे निपटने का प्रयास करने के बजाय, जहां तक संभव हो इसे जल्द से जल्द रोकना बेहतर है. अपने जोड़ों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए निम्नलिखित तरीकों को अपनाएं:

  • नियमित रूप से व्यायाम करें. जोड़ों का व्यायाम उन्हें लचीला रखता है और टिश्‍यूज की मरम्मत और उन्‍हें स्‍वस्‍थ बनाने में सहायता करता है. अगर आप जिम ट्रेनिंग में रुचि नहीं रखते हैं, तो आप स्विमिंग, साइक्लिंग और जॉगिंग जैसे व्यायाम पर विचार कर सकते हैं.
  • अच्छे फैट और तेल से भरपूर डाइट लें, जैसे कि नट्स, सीड, साल्मन आदि. ये लुब्रिकेशन और जोड़ों के स्वास्थ्य को बेहतर करते हैं. अपनी इम्यूनिटी को अच्छी बनाए रखने के लिए दैनिक आहार में मौसमी फल और सब्जियां भी शामिल करें.
  • अपने वज़न को नियंत्रण में रखें. अपने डॉक्टर से अपनी उम्र और लंबाई के लिए अपने आदर्श वज़न के बारे में जानें, और उसे उस सीमा में बनाए रखने का प्रयास करें.
  • अपने जोड़ों को सुरक्षित रखें जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, यह ज़रूरी होता है. व्यायाम करते समय घुटने और कोहनी के कुशनिंग पैड पहनना आवश्‍यक है.
  • साल में एक बार अपने जोड़ों की जांच कराएं. अगर आप कोई नया दर्द महसूस करते हैं, तो इसे तुरंत अपने डॉक्टर के ध्यान में लाएं. स्कैन और जॉइंट MRI काफी हद तक कार्टिलेज में नुकसान या जोड़ के क्षरण का पता लगा सकते हैं.