अधिकांशतः ग्लूकोमा की बीमारी 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को होती है. हालांकि, कुछ वर्षों में, कम आयु वर्ग के लोगों के भी इससे प्रभावित होने के मामले सामने आए हैं.

यह एक ऐसी बीमारी है, जो धीरे-धीरे होती है और ऑप्टिक नसों को नुकसान पहुंचाती है. यह आईबॉल के अंदर उच्च दबाव उत्पन्न करती है, जिसका प्रभाव ऑप्टिक नसों पर पड़ता है और इन्हें नुकसान होता है. ऑप्टिक नसों के खराब हो जाने से आपकी आंखों की रोशनी बुरी तरह से प्रभावित होती है. अधिकतर मामलों में, अगर समय पर उपचार न मिल पाए तो ग्लूकोमा पूर्ण अंधेपन का कारण बन सकता है.

ऑप्टिक नसों में इस समस्या की गति इतनी धीमी होती है कि कुछ समय तक तो आपको अपने विज़न में कोई बदलाव नहीं नज़र आएगा. कई मामलों में, इस बीमारी का पता इसकी एडवांस स्टेज में ही चल पाता है, और उस समय ऑप्टिक नसों को बचाने के लिए काफी देर हो चुकी होती है.

ग्लूकोमा के कारण

हालांकि यह एक व्यापक समस्या है, लेकिन अभी भी डॉक्टरों को पूरी तरह से यह समझ नहीं आया है कि आखिर कुछ लोगों को ग्लूकोमा क्यों होता है. अभी तक यह अनुमान लगाना संभव नहीं है कि यह आपको हो सकता है या नहीं. आप अपने आंखों के डॉक्टर के पास केवल तभी जाते हैं, जब आपको अपने विज़न में कोई बदलाव महसूस होता है. हालांकि, विज्ञान यह स्थापित करने में तो सक्षम रहा है कि ग्लूकोमा अक्सर वंशानुगत होता है. अगर आपके दादा-दादी या माता-पिता को यह बीमारी थी, तो आपमें भी वह जीन आ सकता है.

  • 'एक्वियस ह्यूमर' आंखों के अंदर प्रवाहित होने वाला एक लिक्विड है, जो आंखों को लुब्रिकेटेड और नम बनाए रखता है. सामान्य आंख में, यह आईबॉल के पीछे टिश्यू के जाल से होकर बिना रुके प्रवाहित होता है. यह वही जगह है, जहां कॉर्निया और आईरिस स्थित होते हैं.
  • कुछ समस्या के कारण, एक्वियस ह्यूमर बाहर निकलने की जगह टिश्यू में जमा हो जाता है. इससे ऑप्टिक नसों पर धीरे-धीरे दबाव पड़ता है.
  • फ्लूइड समय के साथ जमा होता रहता है और दबाव बनाता रहता हैं, जिससे ऑप्टिक नसें खराब हो जाती हैं. जल्द ही, यह आपकी आंखों की रोशनी को प्रभावित करना शुरू करता है. उपचार के बिना लंबे समय तक दबाव की वजह से एक या दोनों आंखों में स्थायी अंधापन हो सकता है.

ग्लूकोमा में धब्बे के साथ रोशनी में गड़बड़ी, धुंधली दृष्टि की समस्या होती है. बीमारी के लक्षण आपके ग्लूकोमा के प्रकार पर निर्भर करते हैं. मुख्य रूप से पैथोफिजियोलॉजी के आधार पर ग्लूकोमा की समस्या दो प्रकार की होती है.:

ग्लूकोमा के प्रकार

1 ओपन एंगल ग्लूकोमा: यह सबसे आम प्रकार की समस्या है, जिसमें एक्वियस ह्यूमर के प्रवाह में रुकावट के बिना आंखों के अंदर दबाव में वृद्धि होती है, जिससे आपके पेरिफेरल विज़न में पैची स्पॉट या ब्लाइंड स्पॉट जैसे लक्षण सामने आते हैं. यह समस्या दोनों आंखों में होती है और इसकी शुरुआत और प्रगति धीमी गति से होती है.

2 एक्यूट एंगल-क्लोज़र ग्लूकोमा: एक्वियस ह्यूमर के प्रवाह में ब्लॉकेज होता है, जिसके अधिक गंभीर लक्षण होते हैं. आंखें पानी से भर जाती हैं और लाल हो जाती हैं, जिसके साथ पालक झपकते समय दर्द, गंभीर सिरदर्द, उल्टी, धुंधली दृष्टि और रोशनी के चारों ओर चमकीले घेरे दिखाई देते हैं. यह एक इमरजेंसी स्थिति होती है.

ग्लूकोमा के जोखिम कारक

हालांकि ग्लूकोमा किसी को भी हो सकता है, लेकिन कुछ जोखिम कारक हैं, जो इसे बढ़ाते या तेज़ करते हैं. ये हैं:

  • वंशानुगत कारक: विशेष रूप से ओपन एंगल ग्लूकोमा के मामले में पारिवारिक कारणों से इसकी प्रगति बहुत आम है
  • जातीयता: एशियाई लोगों में क्लोज्ड एंगल ग्लूकोमा का जोखिम काफी अधिक होता है.
  • बढ़ती उम्र
  • हाइपरटेंशन, डायबिटीज़, सिकल सेल एनीमिया जैसी बीमारियां
  • मौजूदा आंखों की समस्याएं, जैसे दूर दृष्टि दोष या निकट दृष्टि दोष
  • कॉर्निया, जो केंद्र में पतले होते हैं या पतले होने की संभावना होती है
  • लंबे समय तक आई ड्रॉप्स या अन्य दवाएं लेना
  • आंखों की किसी प्रकार की सर्जरी या आंखों की चोट
  • ग्लूकोमा का डायग्नोसिस:

    टोनोमेट्री नामक प्रक्रिया द्वारा अन्तःनेत्र दबाव के माप पर आधारित है. इसके अलावा आंखों के कोण की माप गोनियोस्कोपी के माध्यम की जाती है. किसी भी पेरिफेरल विजुअल फील्ड संबंधी दोष की जांच करने के लिए विजुअल फील्ड टेस्टिंग की जाती है. कॉर्नियल की मोटाई मापने के लिए पैकीमेट्री की जाती है. ऑप्टिक नर्व फाइबर प्रभाव का मूल्यांकन करने के लिए कोहेरेंस टोमोग्राफी, लेज़र पोलेरिमेट्री और ऑप्थेल्मोस्कोपिक टेस्ट किए जाते हैं.

    ग्लूकोमा का उपचार:

  • अंत:नेत्र दबाव को कम करने के लिए दवा और आई ड्रॉप्स
  • ब्लॉकेज को हटाने के लिए लेज़र या पारंपरिक रूप से सर्जरी की जाती है, जिससे अंत:नेत्र दबाव का कारण बनने वाले एक्वियस ह्यूमर का प्रवाह सही हो जाता है.
  • अंत:नेत्र दबाव को कम करने के लिए ग्लूकोमा ड्रेनेज इम्प्लांट से एक्वियस ह्यूमर का प्रवाह ठीक होता है

  • ऑप्थेलमोलॉजिस्ट डायग्नोसिस, ऑप्टिक तंत्रिका के नुकसान की सीमा के मूल्यांकन, मौजूदा बीमारियों और व्यक्ति की आयु के आधार पर एकल या संयुक्त उपचार का निर्णय लेते हैं.

    अपने डॉक्टर से कब परामर्श करें

    अगर आप अपनी एक या दोनों आंखों में दर्द महसूस करते हैं, जो धुंधली दृष्टि या पेरिफेरल विज़न में स्पॉट्स के साथ मौजूद है, तो तुरंत अपने डॉक्टर से परामर्श लें. उपचार के साथ, डॉक्टर बीमारी की बढ़ती गति को धीमा कर सकते हैं. हालांकि, एडवांस चरणों में, अंधेपन की संभावना होती है.



    डिस्क्लेमर: यहां दिए गए विवरण केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए हैं. बीमारी और इसके इलाज से संबंधित विस्तृत जानकारी के लिए कृपया किसी संबंधित योग्य विशेषज्ञ से परामर्श लें.

    हालांकि ग्लूकोमा के लिए अभी तक कोई उपचार मौजूद नहीं है, फिर भी आप इसे रोकने के लिए कुछ चीज़ें कर सकते हैं. इसके लिए इन चरणों का पालन करें:

    • Get your eyes checked every year. Regular eye check-ups are necessary after the age of 35 years, since some amount of macular degeneration starts setting in for most people. This practice also helps your doctor find the early signs of glaucoma and start treating you before the problem becomes acute. Regular eye examinations are a must if there is a history of glaucoma in the family.

    • संयमित रूप से व्यायाम करें. व्यायाम महत्वपूर्ण है, लेकिन इससे ग्लूकोमा की समस्या पर पूरी तरह रोक नहीं लग सकती है. दूसरी ओर, व्यायाम वास्तव में ग्लूकोमा की शुरुआत को कम कर सकता है, या कुशल तरीके से एक्वियस ह्यूमर को निकालने में मदद कर सकता है. आपके डॉक्टर अच्छे व्यायाम की योजना बनाने में आपकी मदद कर सकते हैं.

    • अपनी आंखों की सुरक्षा करें. आंखें काफी नाजुक होती हैं, और कई कारक उन्हें नुकसान पहुंचा सकते हैं. लंबे समय तक कड़ी धूप में रहने से लेकर रैकेट खेलते समय या बिजली के उपकरणों को संभालते समय चश्मा न पहनने तक, ऐसे कई तरीके हैं, जिनसे आप अपनी आंखों को नुकसान पहुंचा सकते हैं. आंखों की चोट भविष्य में ग्लूकोमा का कारण बन सकती है.

    • नियमित रूप से परामर्श के अनुसार आई ड्रॉप्स का उपयोग करें. आपके डॉक्टर आपको ग्लूकोमा के लक्षणों को कम करने के लिए आई ड्रॉप्स देंगे. भले ही आपको हर दिन लक्षण महसूस न होते हों, नियमित रूप से इनका इस्तेमाल करें. हालांकि, निर्धारित सीमा से अधिक उन्हें इस्तेमाल न करें.